२०८१ चैत २९ शनिवार
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...र शलभ
लक्ष्मी माली
व्यक्तिचित्र
फेरि पनि रङ्गमञ्च- तृष्णामै बिते उनी
...र शलभ
गौरी मल्ल
कही-अनकही
गोरे नन्द जशोदा गोरी तू कत स्यामल गात
याम- आयाम
जे रोप्छौँ त्यही फल्छ !
कही-अनकही
मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन
याम आयाम
समयचक्रमा खेलहरू अनन्त छन् ।
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