• २०८० असोज ९ मङ्गलबार

दानों से कोख…

आनन्द शर्मा

आनन्द शर्मा

रे कोहरे
तुम आते रहना ।।
हरी बालियों
को मुस्काना
दानों से
कोख भर जाना
आशाओं के दीप
जलाते रहना ।।

ओस की मालिक
सोहर गाती
मेंढक –झीगुंर से
ताल मिलाती
छंद, तुम
रात जगाते रहना ।।

सन्नाटे में
सरसों फूली
ठंडी बातें
सुबह को भूली
दिनतुम
मुस्कुराते रहना ।।


आनन्द शर्मा, बरेली, उत्तर प्रदेश