• २०८१ असोज २८ सोमबार

माँ किस के भाग है

सलिल सरोज

सलिल सरोज

आपही सिपहसालार और आपही सिहाग हैं
फिर कौन है दूसरा, जिस ने लगाई ये आग है ।

हमें समझाने आते हैं सब लोग बारी– बारी
जो देखते नहीं, अपने गिरेबाँ में कितने दाग हैं ।

चाँदनी उतरा करती थी जहाँ पूरे शबाब पे
वो नदियाँ अब उल्टियाँ करती हुई झाग हैं ।

वो परिंदा बहुत खुश था अपना घोसला बनाके
जिसे पता नहीं था सैयादकी गिरफ़त में बाग़ है ।

यहाँ ना तो तूफ़ान हैं , ना हीअंधेरों का राज़ है
अब देखना है कि किस के हाथ में चराग़ है ।

घर का बँटवारा हुआ और बराबर हिस्सा मिला
अब मसअला ये है कि माँ किस के भाग है ।


सलिल सरोज
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