• २०८१ पौष २८ आइतबार

एहसास

नीलम सिंह

नीलम सिंह

अनगिनत एहसासों की पोटली,
जो मेरी उम्र भर की पूंजी हैं
संभाल कर रखती हूँ उसे
अपने सिरहाने
जीवन की भाग दौड़ में
कर्तव्य निभाने की होड़ में
जिन अनमोल एहसासों को
नहीं जी पायी जी भर कर
आज वो मेरे अकेलेपन के साथी हैं
रात हो या दिन
जब भी होती हूँ अकेली
एहसासों की पोटली की गांठ
हो जाती है थोड़ी ढीली
जिसमें से चुपके से निकल आती हैं
कभी कुछ खुशनुमा यादें
कभी बच्चों का खूबसूरत बचपन
तो कभी बुजुर्गों का स्नेहिल आशीष
कभी सखियों का मिलना
कभी अपनो का बिछड़ना
जी कर इन एहसासों को
ये मन कभी अनुरागी हो जाता है और कभी बैरागी
समेट कर जल्दी से इन एहसासों को
लगा देती हूँ फिर से एक मजबूत गांठ
कहीं बिखर न जाएँ मेरे ये अनमोल एहसास
क्योंकि इस ज़िन्दगी से जुड़े
हर एक सख्श का दूर जाना निश्चित है
उस वक़ालत ये कीमती एहसास ही
मेरे जीने का आधार होंगे.. !!


(समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर लखनऊ, भारत निवासी सिंह की पाँच साझा काव्य संग्रह प्रकाशित हैं ।)


रङहरू

I FALL IN LOVE

मेरी कविता