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पिता वटवृक्ष होते हैं
जिनकी छाँव में एक सुंदर बचपन का संसार
पल्लवित होता है
जिनके कर्मठ हाथ गढ़ते हैं
अपने बच्चों में संस्कार और अनुशासन ।
पिता का होना दुनिया का सबसे बड़ा सुख होता है
जिनके पिता होते हैं
वो सचमुच बड़भागी होते हैं
पिता उम्मीद होता है
संकट और संघर्ष के दिनों में ।
पिता के कंधे पर होता है
जिम्मेदारियों का बोझ कि जिसे ढोते(ढोते
गुजर जाती है पूरी उम्र
अपने बच्चों के शौक और खुशियों के लिए
एक पिता कर लेता है समझौता
खुद अपने ही सुकून और सपनों से ।
मैंने कभी पिता की आँखों में आँसू नहीं देखे, क्योंकि पिता सबसे छुप(छुपकर रोते हैं
उनके आँसू नहीं गिरते
क्योंकि उनके आँसू अंदर ही अंदर घुट(घुटकर बिलखने से सूख जाते हैं
पिता ख़ुद को कभी कमज़ोर नहीं होने देते
वे जानते हैं कि दुनिया में कमज़ोरों के लिए
कोई जगह नहीं होती ।
पिता खुले आकाश की तरह उन्मुक्त होते हैं
पिता सागर की गहराई लिए गूढ होते हैं
पिता के हाथों में होती है कर्म की रेखाएं
पिता की आँखों में होते हैं सहज स्वप्न के बिम्ब
पिता पर्वत की तरह अडिग और मज़बूत होते हैं
जो कभी तूफानों से लड़ते हुए हार नहीं मानते
पिता स्वाभिमान के प्रत्यक्ष प्रमाण होते हैं ।
पिता जो सतत संघर्ष के देवता हैं
पिता जो वात्सल्य के सहज प्रणेता हैं
पिता के चरणों में है तीर्थ
पिता की आँखों में बसा है एक सुन्दर संसार
पिता के चरण रज जब लगाता हूँ माथे से
तो संसार के सारे दुःख और संकट
हार मानकर हो जाते हैं दूर ।।
योगेंद्र पांडेय