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लगकर गले तुझसे मुझे आँसू बहाना है
दर्द जो दिल मे भरा है क्यों छुपाना है
इस जहां के दर्द ने दिल को बहुत तोड़ा
तेरे गले लगकर थोड़ा अब मुस्कुराना है ।
तेरे ही आगोश में है, मुस्कुराहट, सुख सभी
इन्हें ही अपना बनाकर हार जाना है ।
दिल मेरा टूटा बहुत, कुचला गया, रौंदा गया
हृदय के सब दर्द को थोड़ा छुपाना है
तुम हो मेरे सब कुछ, मेरी दुनिया, मेरे प्रीतम
तेरे गले लगकर सभी दुःख को भुलाना है
तेरे गले लगकर कहूँ बातें बहुत सारी
आँसुओं के शब्द को सच-सच बताना है ।
यह जग बड़ा है बेवफ़ा कौन है अपना यहाँ
सभी छल से छल रहे हैं आत्मा को तल रहे हैं
सब विधि पूरी करके हाथ अपने मल रहे हैं
यही सच है, बस यही तुझको बताना है ।
अपने मिलेंगे बहुत सारे,कौन है अपना यहाँ
आत्मा कलुषित है सबकी, लुट रहा सारा जहाँ
खामोश होकर, सिर झुकाकर आजमाना है
मुस्कुराकर, गुनगुनाकर चलते जाना है ।
लगकर गले तुझसे मुझे आँसू बहाना है
सब कुछ तुम्हें ही सौंप कर सब छोड़ जाना है ।
अनिल कुमार मिश्र
राँची, झारखंड, भारत ।