• २०८२ कार्तिक १८, मंगलवार

कश्मीरी लाल चावलाका दस हाइकु

कश्मीरी लाल चावला

कश्मीरी लाल चावला

गुलाब फूल
जो महकता रहा
अंत में गिरा

बढ़ी नजरें
जिस के आगे बढ़े
यादों के चित्र

मैं अकेला था
यादों ने पास आ के
मुझे संभाला

खालीपन है
बस उसकी यादें
मेरे पास हैं

घर पे डेरा
यादों ने फिर घेरा
यही जीवन

यादों के साथ
बस मेरा जीवन
उस ने पाया

मन के कोने
जाग उठी कल्पना
यही उड़ान

मन आकाश
जब यादों से भरा
चाँद के साथ

बीता समय
भुगत रहे अब
यादों की सजा

यादों में खोया
अब तो हर पल
यही जीवन


कश्मीरी लाल चावला
संपादक, अदबी माला मुकतसर