सदा भैरवी गाने वाले
युग गायक
अब सो मत जाना
अथ -इति तक
क्या कथा सुनायें
पानी पर कुछ
खींच लकीरे
बैठ आँधियों की
छत पर जो
सोच रहे केवल तदवीरें
किन्तु अभी तक
समझ न पाये
क्या खोया है क्या है पाना
रेत-रेत
हो रही ज़िन्दगी
देख रहे सब
एक तमाशा
छुरी छिपाये
बधिक हाथ में
बोल रहे संतों की भाषा
सावधान हो
स्वर के साधक
सर्पों ने बदला है बाना।
मधु प्रधान
(वरिष्ठ कवयित्री, कानपुर, उत्तरप्रदेश, भारत।)