• २०८१ फागुन ६ मङ्गलबार

कछुए का कवच

स्मिता श्रीवास्तव

स्मिता श्रीवास्तव

राहुल सुबह-सुबह दौड़ने जाता था । आते-जाते वह रोज़ एक वृद्ध महिला को देखता था । वह महिला तालाब के किनारे छोटे-छोटे कछुओं की पीठ साफ़ किया करती थी । राहुल जिज्ञासु था इसलिए उसने कछुओं की पीठ साफ़ करने का कारण जानने का निश्चय किया । राहुल वृद्ध महिला के पास गया और बोला, नमस्ते आंटी ! मैं आपको हमेशा इन कछुओं की पीठ को साफ़ करते हुए देखता हूँ । आप ऐसा क्यों करती हैं ? महिला ने उस मासूम से लड़के को देखा और कहा, मैं कछुओं की पीठ साफ़ करते हुए सुख-शांति का अनुभव करती हूँ । इनकी पीठ पर जो कवच होता है उस पर कीचड़ जमा हो जाने की वजह से इनकी गर्मी पैदा करने की क्षमता कम हो जाती है इसलिए ये कछुए तैरने में मुश्किल का सामना करते हैं । इन कछुओं का जीवन १५० से २०० वर्षों का होता है यदि इनकी देखभाल न की जाये तो समय से पहले ही इनके जीवन का अंत हो जाता है । इन्हीं कारणों से कछुओं की कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं ।

यह सुनकर राहुल बड़ा हैरान था । उसने फिर कहा, आप बहुत अच्छा काम कर रही हैं । अगर आपकी तरह सभी यही सोचेंगे तो हम इनकी मदद कर सकेंगे क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं । उसने स्वयं से वादा किया कि वह भी इस नेक काम में वृद्ध महिला का हाथ बँटाएगा । आखिर ये छोटे बड़े पशु -पक्षी भी तो पर्यावरण का महत्त्वपूर्ण अंग हैं, इनके प्रति हम मनुष्यों को संवेदनशील होना ही होगा ।


स्मिता श्रीवास्तव, दिल्ली, भारत