उस खिड़की से आती है तंग सी धूप हर रोज ।
घर के कुछ लोग तंग सी धूप का स्वागत करते हैं, कुछ लोग विरोध ।
शाम होते ही जब चली जाती है तंग सी धूप तो याद करते हैं सभी लोग ।
अशोक बाबू माहौर