रात सावन की कोयल भी बोली पपीहा भी बोला मैं ने नहीं सुनी तुम्हारी कोयल की पुकार तुम ने पहचानी क्या मेरे पपीहे की गुहार ? रात सावन की मन भावन की पिय आवन की कुहू–कुहू मैं कहाँ–तुम कहाँ–पी कहाँ !
अज्ञेय