व्यक्तिचित्र

मुहब्बत में जब वो हमारे हुए हैं
हंसी जिंदगी के नजारे हुए हैं
अगर वक्त मुझपे मेहरबान होता
जहां यूं न कहता हम हारे हुए हैं
सुना है किसी और के हो गए वो
वसन तो मेरे ही उतारे हुए हैं
कभी साथ दिन जो गुजारे थे हमने
वो जीने के मेरे सहारे हुए हैं
खुदा उनको माना इबादत भी की थी
मगर वो न फिर भी हमारे हुए हैं
डा. पुष्पलता सिंह “पुष्प“, नई दिल्ली, भारत