• २०८२ मंसिर ७, आईतवार

दहलीज

कोमल वाधवानी प्रेरणा

कोमल वाधवानी प्रेरणा

कफन ओढने से पहले भी
कई बार खुदकके
खुद ने ही
कफन ओढ़ाया था
किंतु कलम ने कहा
लाल रंग पर
काली स्याही से लिख दो-
बेटे तुम सिर्फ
बेटे ही नहीं रहोगे
एक दिन तुम भी

पिता बनोगे ।
खडा किया है
जिस दहलीज के बाहर
कल तुम भी
इसी जगह खड़े हो ओगे ।


कोमल वाधवानी प्रेरणा
उज्जैन, मध्यप्रदेश, भारत