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वह कौन है
जो हटाना चाहता है
इन तपस्वियों को
जो तपश्चर्यारत हैं
अपनी मुक्ति के लिए नहीं
संपूर्ण चराचर जगत् के कल्याण हेतु ।
वह कौन है ?
जो भंग करना चाहता है
इनका तप
भय क्यों है उसे
तप और ज्ञान से ?
भय है उसे ?
अपने अधूरे ज्ञान से
अपनी तप हीनता से
ईर्ष्या-द्वेषाकुल मन से
अपने विषाक्त सोच से ।
देव बहुत उच्च थे
सर्वशक्तिमान थे
फिर भी रहा करते थे
भयभीत सदैव
दूसरों के असाधारण तप से
उनकी एकता और शक्ति संगठन से ।
निर्विकल्प है
तप और ज्ञान साधना
जीता नहीं जा सकता है
कभी कोई भी युद्ध
अपनी कायरता से
धोखाधड़ी से
षड्यंत्र से
या किसी शॉर्टकट रास्ते से ।
क्या हटा दिया जाएगा
इसी तरह
उन्हें अपमान पूर्वक
या मन की खिन्नता
अपमान की कल्पना भर है ?
आनन्द प्रकाश त्रिपाठी (सागर, मध्यप्रदेश, भारत।)