• २०८१ चैत ३ सोमबार

पितृपक्ष

अलका पाण्डेय

अलका पाण्डेय

शुरू हुआ है, पितृपक्ष
घर द्वार शुद्ध कर लो ।।
पितृ पक्ष की घड़ी आई
तर्पण अर्पण करना है ।।

मेहमान बन कर आए हैं
पितृ देव अपने ही धाम ।।
वर्ष भर में एक बार आते
उनकी सेवा करो प्रेम से ।।

समय निकालो काम से
हो जायेगे प्रसन्न पितृ देव ।।
देंगे वरदान भर भर झोलियां
सारे कष्ट तुम्हारे मिटा जायेगे ।।

पूरे कर जाएंगे सारे अरमान
पितरों की तन मन से सेवा कर ।।
श्राद्ध करना खुशी खुशी तुम
कोवो को भोजन पानी देना ।।

ब्राह्मण को भोजन वस्त्र दक्षिणा
प्रेम से सब श्राद्ध कर्म करना ।।
खुश रहे हमारे सारे पितृ
मन में प्रेम भाव रख तर्पण कर ।।

संकट कभी पास न आए
फूलों सा जीवन महकेगा ।।
माता पिता को प्रणाम करना
पितरों का आशीष मिले तो ।।

वंश परंपरा बेल सी बढ़ती जाती
पितृ को तृप्त करो मुक्ति दिला।।
वो सब कष्ट तुम्हारे ले लेंगे
जीवन में खुशियां भर देगे ।।

आशा ले कर आते, हर वर्ष
अपने ही परिजनों के बीच ।।
खुश हो आशीष देकर जाए
ऐसा तुम श्राद्ध कर्म करना ।।

पितृ देव सदा खुश रहे हमसे
मुक्ति पा जाए, नया जन्म मिले ।।
हम भी खुश रहे ,पितृ भी खुश रहे
पितृ पक्ष में मन से, जतन करे ।।


अलका पाण्डेय (मुम्बई, महाराष्ट्र, भारत।)