सुनो !
मेरे माथे का दपदपाता सिंदूर
देता है ऊर्जा मुझे ।
आधुनिक होने के लिए,
मुझे पैंट पहनना
आवश्यक नहीं लगता ।
ना ही उड़ान भरने के लिए
मुझे स्कर्ट पहनना अनिवार्य है
हाथ के कंगन
मुझे हथकड़ी नहीं लगते
और ना ही पायल…बेड़ियाँ
स्त्री होना.. स्त्रीयोचित गुण होना..
मेरी प्रसन्नता में बाधक नहीं ।
और हाँ ..सुनो..
कोई मुझे प्रसन्न नहीं रखता
क्योंकि मैं स्वयं प्रसन्न रहती हूँ
मुझे प्रसन्न रहने के लिए
किसी की इजाजत नहीं लेनी होती
और यही मेरा स्त्री होना है ।
ज्योति जैन, वरिष्ठ साहित्यकार, इंदौर, मध्यप्रदेश, भारत