• २०८१ माघ १ मङ्गलबार

चिन्तन

बसन्त चौधरी

बसन्त चौधरी

आवश्यक है, शायद
तन की शुद्वता
बाहर दिखावे के लिए
या फिर सीधे–सादे
सरल–मना लोगों को
भ्रमित करने केलिए
या यूँ कहूँ कि,
कुछ हद तक लोगों को
बहलाने के लिए भी
किन्तु सच तो यह है कि
यह लम्बे समय तक
न समाज और न ही लोगों को
भ्रमित कर सकती
एक दिन
झूठ का आवरण हटता है ।

किन्तु ! इससे बढकर
हानिकारक है, मन की अशुद्धता,
जो तन–मन सहित हनन कर लेती है
हमारे आचार–विचार को भी
और कुण्ठित कर देती है
चेतना तथा चिन्तन की क्षमता को ।
स्वीकार नहीं कर पाता सच को
मन की अशुद्धता
विकृत कर देती है बुद्धि को भी ।
क्योंकि चिन्तन के लिए
महत्त्वपूर्ण है,
शुद्ध आत्मिक, सात्विक
और सार्वभौमिक मनन ।
आवश्यक है,
तन–मन की शुद्धता
और बुद्धिमत्ता,
ताकि किया जा सके
चिन्तन ! विशुद्ध चिन्तन !!

साभार: अनेक पल और मैं


[email protected]
(चौधरी विशिष्ट साहित्यकार हैं ।)