एक बच्चे को आज नया जनम दे दिया
हाथ में उस के किताब कलम दे दिया
थोड़ा सा पानी और कुछ दाना रखकर
बे- घर हुए परिन्दों को मलहम दे दिया
शब भर अपनी आँखों को भिंगोया तो
किसीकी सुबहों को शबनम दे दिया
इतना काफी है मेरे लिए कि मैं रूका
तो किसी को मैंने दो कदम दे दिया
दो दिनकी मोहलत पर गाँव जा कर
बूढ़ी माँ को बहारों का मौसम दे दिया
वो खुदाही हो गया जहां में मेरे लिए
जान ही दे दी जो मैंने कसम दे दिया
सलिल सरोज, भारत
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