• २०८१ चैत ६ बिहीबार

किसानक फाटल धोती

अंशु झा

अंशु झा

फाटल धोतिएमें हमरा
गुमान लगैया,
खेतक आरिए पर
हमर स्वाभिमान बढैया ।
जखन रखैत छी
कान्ह पर कोदारि,
सीना फुलि भक
जाइत अछि उतान,
जखन धरैत छी
हरक लागनि,
सारा संसार मुठिएमें
समेटल लगैया,
फाटल धोतिएमें हमरा
गुमान लगैया ।

पहिर लेब हम फटले धोती
मुदा नहि बनब ककरो गुलाम,
परजीवी नहि बनब हम कखनो,
सदति करति रहब श्रमदान,
मेहनतियेमें हमरा सम्मान लगैया,
फाटल धोतिएमें हमरा
गुमान लगैया ।

धरतीक कोरमें जँ हम
छिटैत छी किछु अन्न,
तक ओ दैत अछि
संसारके भोजन,
ओहिमें सानल रहैत अछि
हमर खून आ पसीना,
धनिकहा खाइत अछि खीर आ पुवा,
मुदा किसानके सुखल
रोटियेमें आनन्द अबैया,
फाटल धोतिएमें हमरा
गुमान लगैया ।


अंशु झा (स्वतंत्र लेखन)
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