• २०८१ पौष २९ सोमबार

ख़ाकी

सुषमा दीक्षित शुक्ला

सुषमा दीक्षित शुक्ला

हमें सुलाते जाग जाग कर,
जिनसे है आबाद वतन ।

जिनका धर्म त्याग सेवा है,
उस खाकी को कोटि नमन ।

शूरवीर ये सच्चे योद्धा,
इनसे ही है चैन अमन ।

असली हीरो पुलिस हमारी,
ख़ाकी वालों कोटि नमन ।

वक्त मुसीबत के मारों की,
ये ताकत बन जाते हैं ।

ख़ुद के सुख को भूल चुके हैं,
खाकी जो अपनाते हैं ।

अपने घर,त्यौहार भूलकर,
सबके पर्व कराते हैं ।

फ़र्ज़  के ख़ातिर ख़ाकी वाले,
न्यौछावर हो जाते हैं ।

अनुशासन के पालन की,
ये हर सौगन्ध निभाते हैं ।

दुष्ट जनों को खोज खोज कर,
अच्छा सबक सिखाते हैं ।

जनसेवा हित तत्पर रहते,
रात दिवस जो आठ पहर ।

करें हिफाज़त आम ख़ास की,
घूम घूम कर गाँव शहर ।

हम सबकी रखवाली करना,
यह ही इनका दीन धरम ।

एक एक को न्याय दिलाना,
शान्ति बचाना यही करम ।

शूरवीर ये सच्चे योद्धा,
इनसे है आबाद वतन ।

असली हीरो पुलिस हमारी,
ख़ाकी वालों कोटि नमन ।


सुषमा दीक्षित शुक्ला, राजाजीपुरम, लखनऊ, उ० प्र०- 226017
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