रक्षाबंधन प्रेमका,
हृदयका त्योहार !
इसमें बसती द्रौपदी,
है कान्हाका प्यार !!
कहती हमसे राखियाँ,
तुच्छ है सभी स्वार्थ !
बहनों की शुभकामना,
तुमको करे सिद्धार्थ !!
भाई-बहना नेह के,
रिश्तों के आधार !
इस धागे के सामने,
हीरे हैं बेकार !!
बहना मूरत प्यार की,
मांगे ये वरदान !
भाईको यश-बल मिले,
लोग करे गुणगान !!
चिठ्ठीलाई गाँव से,
जब राखी उपहार !
आँसूं छलके आँख से,
देख बहनका प्यार !!
सब बहनों पर हम करें,
मन से सच्चा गर्व !
होता तब ही मानिये,
रक्षाबंधन पर्व !!
डा. सत्यवान सौरभ, चर्चित कवि एवं पत्रकार, हरियाणा भारत