• २०८१ फागुन १ बिहीबार

हाँ मैं श्रमिक हूँ

सुषमा दीक्षित शुक्ला

सुषमा दीक्षित शुक्ला

मैं श्रमिक हूँ हाँ मैं श्रमिक हूँ ।
समय का वह प्रबल मंजर,

भेद कर लौटा पथिक हूँ ।
मैं श्रमिक हूँ हाँ मैं श्रमिक हूँ ।

अग्निपथ पर नित्य चलना,
ही श्रमिक का धर्म है ।

कंटको के घाव सहना,
ही श्रमिक का मर्म है ।

वक्त ने करवट बदल दी,
आज अपने दर चला हूँ ।

भुखमरी के दंश से लड़,
आज वापस घर चला हूँ ।

मैं कर्म से डरता नही,
खोद धरती जल निकालूँ ।

शहर के तज कारखाने,
गांव जा फिर हल निकालूँ ।

कर्म ही मम धर्म है,
कर्म पथ का मैं पथिक हूँ ।

समय का वह प्रबल मंजर,
भेद कर लौटा पथिक हूँ ।


( लखनउ, भारत निवासी शुक्ला चर्चित कवि हैं ।)