दुःख के बदरिया छीनलस सुख के विहनवा के
काहें के देखईलु मईया अन्हार के ई दिनवा
दिल के अरमान डूबल सुखवा के साँझ डूबल
चहकत किरिनिया के लोर सनइलस रे अन्हरिया
दुआरे(दुआरे भटकत रहीं केहू नाहीं मिलल आपन
दुःख के संघतिया ना केहू रे मयरिया
सब केहू छोड़ दिहल बीचे मँझधरवा में
दुःख के रे बेरवा में लोर रे संघतिया
रख लेतू हमके माई छिपाई के अँचरवा में
तोहरे बलकवा बा दुःख में मयरिया
रात दिन काटे धावे केहू नहीं मन भावे
तोहरी चारनिया के एक आस रे मयरिया
रमेश कुमार मिश्र
कवि, गीतकार, समाजसेवी । पटना, बिहार, भारत
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