मुझे अपनी ही सूरत दिखाई दे रही थी
आर-पार देखना चाहता था
मैंने आईने पर से लेप को हटा दिया
अब
दुनिया तो सारी दिखाई दे रही
पर मेरी अपनी उपस्थिति
उसमें
कहीं भी नहीं है
मैं
जैसे शरीर से प्राण हो गया हूँ
कोई सँवरेगा
तो आईने की ज़रूरत पड़ेगी
यह सोचकर
अब प्राणों का लेप कर रहा हूँ
अरे वाह,
नए आईने में
ख़ुद भी
कितना नया हो गया हूँ मैं१
शैलेय