• २०८२ भाद्र २७, शुक्रबार

प्रार्थना का एक प्रकार

 अज्ञेय

अज्ञेय

कितने पक्षियों की मिली-जुली चहचहाट में से
अलग गूँज जाती हुई एक पुकार:

मुखड़ों-मुखौटों की कितनी घनी भीड़ों में
सहसा उभर आता एक अलग चेहरा:

रूपों, वासनाओं, उमंगों, भावों, बेबसियों का
उमड़ता एक ज्वार

जिसमें निथरती है एक माँग, एक नाम-
क्या यह भी है

प्रार्थना का एक प्रकार ?


अज्ञेय