अनुभूति

झुकी नजर
उदासी का सबूत
खामोश आँख
चढ़े जोबन
फूलों पर जवानी
खुश कलियां
फूल हंसा है
झड़ गया फूल है
खिलार बीज
बूँद गिर के
गुआ फिर वजूद
नदी बनी है
बूंद गिर के
बखशती जीवन
फूल पौधे को
गुम हुआ है
बचपन तलाशॣं
कही ना मिला
मेरे सासों में
भारत बसता है
सभी जीते है
बंदा चुप है
कुदरत बोलता
सुने ना बंदा
आँख नंगी है
कुदरत देखती
मानो आनंद
जहाँ जाते हैं
सिर पे नीली छत्री
नीचे पानी है !!
कश्मीरी लाल चावला
संपादक अदबी माला मुकतसर 152026 9814714791