कविता

हे ! हवा
जरा ठहर
कहाँ जा रही हैरु
मैं भी चलता हूँ
साथ तेरे
खिलखिलाते, बतियाते ।
मुझे भी जाना है
अपने गाँव
बातें करनी है
अपनों से
बड़ों से,
बच्चों से,
ताकि सुकून मिल सके
कुछ हद तक मुझे
शांत मन प्रफुल्लित
झूम उठे ।
अशोक बाबू माहौर
ग्राम- कदमन का पुरा, तहसील- अंबाह
जिला- मुरैना (म.प्र.) 476111