• २०८१ माघ ५ शनिवार

खबर

किशन पौडेल

किशन पौडेल

हर प्रहर , हर पल
आँधी, तूफ़ान के साथ
भयंकर सुनामी लेकर
दिल दहलाने आती हैं
विक्षिप्त खबरें !

लहू के स्याही से लिपट कर
आंसुओं के दरिया में बहते
ख़ून टपकाते हुए आते हैं
हर रोज अख़बारों के पन्ने ।

मैं निशब्द
लाचार नजर से देखता रहता हूं
इंसान की हैवानियत
क़ुदरत का ख़ौफ़नाक क़हर
दुनियां भर की आपदाएं
कोहराम से भरा हुआ
आंसुओं का सैलाब !

और
सभयभीत हो कर
अपनी उंगली पर
पल्स ऑक्सीमीटर लगाकर
बड़ी मुश्किल से
महसूस करता हूं
अपने ही सीने के अंदर
दिल की बेतरतीब धड़कने


किशन पौडेल
हेटौंडा