• २०८२ आश्विन २९, बुधबार

खबर

किशन पौडेल

किशन पौडेल

हर प्रहर , हर पल
आँधी, तूफ़ान के साथ
भयंकर सुनामी लेकर
दिल दहलाने आती हैं
विक्षिप्त खबरें !

लहू के स्याही से लिपट कर
आंसुओं के दरिया में बहते
ख़ून टपकाते हुए आते हैं
हर रोज अख़बारों के पन्ने ।

मैं निशब्द
लाचार नजर से देखता रहता हूं
इंसान की हैवानियत
क़ुदरत का ख़ौफ़नाक क़हर
दुनियां भर की आपदाएं
कोहराम से भरा हुआ
आंसुओं का सैलाब !

और
सभयभीत हो कर
अपनी उंगली पर
पल्स ऑक्सीमीटर लगाकर
बड़ी मुश्किल से
महसूस करता हूं
अपने ही सीने के अंदर
दिल की बेतरतीब धड़कने


किशन पौडेल
हेटौंडा


काठमाडौँ

अलमलिएको बिहान

वह नदी की ओर मोड़ना

ओथारो