• २०८१ फागुन ६ मङ्गलबार

नारी छी हम्म

उदगार यादब

उदगार यादब

आन्ही, बिहाइर नहि जे रुकी जाएब
सुरज नइ जे डुइबी जाएब
धड्कन नहि जे थमी जाएब
बरफ नहि जे पिघैएल जाएब
चट्टान नहि जे बढीमे बहि जाएब
बाउल नहि जे छिटा जाएब
कहानी नहि जे अधुरे रहि जाएब
समय नहि जे ढैल जाएब
नदी नहि जे सागरुमे मिल जाएब
गीत नहि जे अहाँ बिसैर जाएब
हित,मीत नहि जे बिछडी जाएब
भला नहि जे अहाँके गैर जाएब
इनार नहि जे हम सुइख जाएब
वसंत ऋतु नहि जे हम बदैल जाएब
मोबाइल नहि जे हम बिगैर जाएब
सृष्टि पर भारी छी हम्म
हँ नारी छी हम्म
नहि हारल छी हम्म
नहि थाकल छी
हँ हम्म नारी छी ।


उदगार यादब
सिरसिया- ६