• २०८२ असार २४ मङ्गलबार

वो जो दुनिया से गुज़र जाते हैं

 अनीता मौर्या

अनीता मौर्या

वो जो दुनिया से गुज़र जाते हैं,
कोई बतलाये किधर जाते हैं,

ज़िन्दगी रोज ही धमकाती है,
रोज ही मौत से डर जाते हैं,

छोड़ देते हैं वो पिंजड़े को खुला,
और पंखों को कतर जाते हैं,

हमको जीने नहीं देगी दुनिया,
हम चलो साथ में मर जाते हैं,

लोग चलते हैं ज़माने की तरफ़,
हम जिधर घर है उधर जाते हैं।


अनीता मौर्या