• २०८१ चैत ७ शुक्रबार

आशंका के बादल

किरण मल्होत्रा

किरण मल्होत्रा

आशंका के स्याह बादल के
सुरमई अंधेरों में अक्सर
दबी छुपी सी होती है
जैसे संभावनाए सारी
उम्मीदें धराशाई-सी
झपकती है पलक धीरे-धीरे
आस के सितारों से रोशन
आँखों में फैला हुआ आकाश
आकुल-अधीर हृदय प्रतिपल
करता है एक चमत्कार का इंतजार


किरण मल्होत्रा
सिरसा हरियाणा