English Poem
सबका घर संसार सजा है
किसके दिल में कौन बसा है
देह किसी के साथ खड़ी है
अन्तर्मन में कोई पड़ा है
मुश्किल है अब ये कहने में
कौन पराया कौन सगा है
बड़े बड़ाई कर के छोटे
छोटा सबके साथ बड़ा है
हँसती आँखों से मत पूछो
चूप रह रहकर क्या तो सहा है
तन के बंध जाने से ‘सरिता’
कोई कहाँ किसी का हुआ है ।
सरिता पंथी, महेन्द्रनगर, नेपाल