माँ के कोमल गुलाबी हाथों की
रंगबिरंगी चुड़िया
गुलाबी बदन पर शोभने वाला ब्लाउज
माथे पर करीने से लिया गया आंचल
और हाथ मेंतांबे का जल भरा लोटा
सूर्य को अर्घ्य देने जाती
एक एक सीढ़ी चढती मेरी माँ
जाने कितनी तस्वीरें सुबह सुबह
रोज उतर आती हैं मेरे जेहन में
मेरी माँ, ओ मेरी माँ
पुकारता मेरा मन
तल्लीनता से निहारता मेरा मन
और मेरी सुबह
सार्थक हो जाती है ।
डा. प्रतिभा राजहंस
भागलपुर बिहार भारत