• २०८१ माघ २७ आइतबार

मुझे चाँद चाहिए

मनीषा मारू

मनीषा मारू

मुझसे जब भी मिलते हो,
बड़े प्यार से ये जताते हो ।
तुम…..एक चांद हो
और वो चाँद मुझे चाहिए ।
हर बार मुस्कुरा के टाल दिया,
लेकिन आज…….

मैंने कुछ यूँ उनको फरमा दिया ।
क्यों अपनी हसरतों में…
ख्वाब चांद सा रखते हो?
चांद तो हर नजर को हैं लुभाता !
क्योंकि उसके हिस्से……

खुला आसमां जो हैं आता।
क्या तुम मुझे,
अपने विचारों का वो…
खुला आसमां दे पाओगे ?
जीने मरने के…. वादे तो…
अक्सर हर कोई कर लेते हैं ।
लेकिन क्या तुम….

ना आगे…..ना पीछे
हर कदम मेरे साथ चलो
ऐसे हमसफर, बन पाओगे ?
तुम्हारे और मेरे रिश्ते पर,
प्यार की मोहर का चार चांद लगा,
ताउम्र के लिए…….
क्या…..तुम मेरा साथ निभा पाओगे ?


मनीषा मारू
विराटनगर, नेपाल