• २०८१ फागुन १ बिहीबार

प्रकाश–पर्व

बसन्त चौधरी

बसन्त चौधरी

आज दीपोत्सव है
प्रकाश–पर्व
अन्धकार के अन्त का पर्व ।
अन्धकार !
हाँ ! घोर अन्धकार
जिसने लील लिया है
सातों द्धीपों के जोश को
और आतुर है निगलने को
समस्त मानव जाति को
आततायी बन कोरोना ।

किन्तुु
हारना नहीं है इससे
बल्कि हराना है
सम्पूर्ण विश्व से भगाना है
इस अदृश्य दानव को ।
आओ
आह्वान करें उस प्रकाश का
अपने–अपने घरों में जलाकर
नौ नन्हे दीपों को ।
बाजार या चौराहे पर नहीं ।
प्रज्वलित करें घरों के भीतर
और मिटा दें अन्धकार को ।

साभार: अनेक पल और मैं


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(चौधरी विशिष्ट साहित्यकार हैं ।)