मात- पिता का जीवन बिटिया,
वीणा की सरगम में बिटिया ।
मान पिता का माँ की धड्कन,
घर की पुख्ता छाँवन बिटिया ।।
तुलसी सी ज्यों पूजित- पावन है,
पूजन की सामग्री बिटिया ।
दो- दो कुल की लाज निभाये,
सात जन्म तक रानी बिटिया ।।
शक्ति रूप अवतारी है वो,
पूजित सब धर्मो में बिटिया ।
उमा, रमा, सीता, ब्रहाणी,
सर्वलोक सर्वोत्तम बिटिया ।।
मृदु वाणी से जग को भाती,
तन- मन प्यास बुझाती बिटिया ।
ज्येष्ठ मास सावन हो जैसे
यूँ ठण्डक बरसाती बिटिया ।।
रिश्ते- नाते सभी जानती,
परिवारों की सेतु बिटिया ।
हँसकर विदा पिता से लेती
संस्कार ले माँ से बिटिया ।।
साभार: अनेक पल और मैं
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(चौधरी विशिष्ट साहित्यकार हैं ।