• २०८१ माघ ५ शनिवार

कविता–हिन्दी

शिवशरण सिंह चौहान ’अंशुमाली’

शिवशरण सिंह चौहान ’अंशुमाली’

कवितामें क्या लिखोगे कवि ?
शृंगार, सौंदर्यके गीत
कामिनी कंचनके आर्वत-
नही नहीं
लिखो-
शहीदोंका बलिदान
भ्रष्टाचारका उन्मूलन
दहेज कन्याभरूणनारी उत्पीड़न-
जैसे कृत्योंका विरोध
आतंकका विरोध
ओ कवि ! फूँको तूर्य
जगाओ–
भारत भारती और भारतीयता

साभार: साहित्यरचना इ-पत्रिका


फतेहपुर (उत्तरप्रदेश), भारत