मैं एक पत्रकार हूँ,
मैं एक पत्रकार हूँ ।
समाज का हूँ आईना,
अवाम का गुबार हूँ ।
कहाँ पे क्या सही हुआ,
कहाँ पे क्या गलत हुआ ।
कहाँ पे क्या सृजित हुआ,
कहाँ पे क्या घटित हुआ ।
समाज के वजूद का,
मैं ही तो चित्रकार हूँ ।
मैं एक पत्रकार हूँ
मैं एक पत्रकार हूँ ।
समाज का हूँ आईना,
अवाम का गुबार हूँ ।
कर्मपथ पे मौत हो,
मैं मगर डरूं नही ।
अमीर क्या गरीब क्या ,
भेद मैं करूँ नही ।
खुशीकी बात हो या गम,
अवामकी पुकार हूँ ।
मैं एक पत्रकार हूँ
मैं एक पत्रकार हूँ ।
समाज का हूँ आईना,
अवाम का गुबार हूँ ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला, भारत
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