अनुपम आभा लिए किसलय
हरित क्रान्ति के संवाहक
वृक्षों की शाखें
अद्भुत श्रृंगार किये हुए
खिल रही हैं कलियाँ
फूलोँ से लदे पौंधे इतरा रहे हैं
जैसे मदपान किये हुए हों ।
बगिया में अशोक बृक्षों की क़तार
अद्वितीय रुप लिए हुए
जहाँ संचरित हो रहे हैं
प्रेम प्रीति तथा प्यार के
नैतिकता से सराबोर बन्धन
या बसन्त के रिश्ते ।
(‘अनेक पल और मैं’ कविता संग्रह से उधृत)
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(चौधरी विशिष्ट साहित्यकार र्है ।)