• २०८१ चैत १२ बुधबार

करीब तुम हो

बबीता प्रसाद “प्राची“

बबीता प्रसाद “प्राची“

तुम्हारे अहसासों ने छुआ लगा करीब तुम हो
हवा गुनगुनाने लगी है लगा करीब तुम हो
मेरी जिन्दगी महक महक रही है आजकल
फूलों ने चुपके से ये कहा है करीब तुम हो
नजर आने लगे हो तुम ही तुम हर तरफ
सांसों ने हौले हौले से कहा है करीब तुम हो
साँवली सी रात जब जब डराती है दिल को
रेशमी उजाला बन झिलमिलाते करीब तुम हो
कभी आँखो में आँसू कभी दर्द की नरम छुअन
मुस्कान बन रहते लबों पर करीब तुम हो
जब जब सोचा है मैने प्रियवर तुमको
ऐसा लगा मेरी रूह के करीब तुम हो
पतझड़ का मौसम जब जब आता है
लगा जैसे बहार बनकर करीब तुम हो
तुम मिले तो लगा भोर हुई है जिन्दगीकी
सूरज की तरह जगमगाते करीब तुम हो
तुम्हारे अहसासों ने छुआ लगा करीब तुम हो
हवा गुनगुनाने लगी है लगा करीब तुम हो


बबीता प्रसाद “प्राची“, नासिक, महाराष्ट्र, भारत