हिन्दी कविता

काँटो के बीच मासूम फूल खिला
बिन सोचे समझे क्या मिलेगा सिला
काँटों से होगी उसकी सुरक्षा या
बनेगे वही उसकी मौत का किला ।
बड़ी हिम्मत दिखा, मुस्कुराता रहा
न की शिकायत कभी, न किसी से गिला
फूल देख चेहरा सबका खिल गया
एक बार फिर जीने का सबक मिला
इरादे हमारे भी मजबूत हुए ।
चट्टान को ना, कोई सकता हिला
सारिका अग्रवाल, विराटनगर, नेपाल