आयो रंगीलो फागण रँगी बहार, बण कै,
आओ खुशी मनावां- गुल- गुलोजार बन कै ।।
आयो रंगीलो फागण ।
१) रँगा रा बरस्या बादल, धरती रो भिज्यो कण–कण ।
जागी नुवीं उमंगा- अन्तस् में खिलग्यो उपवन ।।
मनडे रा मोर नाचै बस प्यार प्यार बनके ।। आयो रंगीलो फागण ।।
२) हिवड़ो हिलोला खा
वै, उमड़यो
है प्रेम सागर ।
रितो रह्वै न कोई बूढा हो चाहे टाबर ।
मस्ती में सारा झूमे सरगम सितार बनके ।।
आयो रंगीलो फागण ।।
३) कोई बजावै डफली कोई
बजावै ढोलक,
कोई बणी है राधा, कोई किशन, मनमोहक ।
घिनड की धूम मची है रस की फुहार बनके ।।
आयो रंगीलो फागण रँगी बहार बनके ।।
४) छोटो–बड़ो न कोई इकसार सबनै जाणो,
रलमिल मनाओ होली, खींचा न कोई ताणो । सै को सम्मान बढ़ावा आदर सत्कार करकै ।
आयो रंगीलो फागण रँगी बहार बनके ।।
५) विकृति न दूर भगावां, संस्कृति
न राखां कायम,
मरजादा नहीं भूला, श्रम सेवा में हाजर हरदम ।।
‘कमला’ दिखावा युग नै ‘मारवाड़ी’ जुझार बनके ।।
आयो रंगीलो फागण रँगी बहार बनके ।
आओ खुशी मनावां गुल–गुलोजार बनके ।। आयो रंगीलो फागण ।।
राग; आए हो मेरी जिंदगी में ।
( कमला भन्साली जैन, राजविराज)