• २०८१ चैत ६ बिहीबार

पिता

प्रदीप बहराइची

प्रदीप बहराइची

खुशियों का आकाश पिता है
सर्वाधिक विश्वास पिता है
जीवन की आपा धापी में
राहत की हर सांस पिता है ।

उम्मीदों का पिता खजाना
पिता से है सब ताना बाना
कठिन राह में उंगली थामे
पिता सिखाये आना जाना ।

जीवन का आधार पिता है
जीवन का व्यवहार पिता है
बच्चों के सपनों का पूरक
बच्चों का संसार पिता है ।

तेज धूप में छांव पिता है
कठिन राह में ठांव पिता है
कंक्रीट के इस जंगल में
अपनापन का गांव पिता है ।


(शिक्षक, बहराईच उत्तरप्रदेश/स्वतंत्र लेखन
कविता संग्रह, ‘आ जाओ मधुमास में’ तथा ‘चूमा है चाँद को’ प्रकाशित)