जयति जय जय मां सरस्वति,
जयति वीणा वादिनी ।
जगत का कल्याण कर मां ,
घोर तम की नाशिनी ।
भूल मेरी माफ कर मां ,
सुन मेरी फरियाद को ।
त्याग दे संसार पर
त्यागे न मां औलाद को ।
ज्ञान की गंगा बहा दो,
तुम हो पुस्तक धारिणी ।
प्यार का आंचल बिछा दो,
मातु वीणा वादिनी ।
हम सभी तो शिशु तुम्हारे,
तुम हमारी मातु हो ।
हे दयामयि क्षमा कर मां,
अब हमारा साथ दो ।
प्यार का आँचल बिछा दो,
तुम जगत की स्वामिनी ।
जगत का कल्याण कर मां
घोर तम की नाशिनी ।
सत्य पथ पर बढ़ सकूं,
तेरा हृदय में वास हो ।
माता तुम्हारे प्यार से,
अज्ञानता का नाश हो ।
जगत का कल्याण कर मां,
तुम हो विघ्न विनाशिनी
जयति जय जय माँ सरस्वति,
जयति वीणा वादिनी ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला, राजाजीपुरम, लखनऊ,उ० प्र०
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