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जिस दर्द का ईलाज तुम कर न सको
वह दर्द तुम किसीको दिया न करो ।
जिसने पिया हो जाम हककंसी का भर भर के
उसे तुम पीने को भर के अश्क दिया न करो ।
जिसने हकिकत में जीना सिखा हो,
उसे तुम सपनों में उलझाया न करो ।
वह तो मस्त है अपने गमें जहाकक में क्या कहुकक,
बेवजह झूठे अरमां दिल में तुम जगाया न करो ।
कोई खेल नहीं है दिल की लगी, तुम यह जानलो,
गर प्यार सच्चा हो तो,उसे तुम आजमाया न करो ।
जिस दर्द का ईलाज तुम कर न सको
वह दर्द तुम किसीको दिया न करो ।
नीता गुरूंग भाटिया, गुवाहाटी असम भारत ।
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