• २०८१ असोज २४ बिहीबार

अंतिम इच्छा

कंचना झा

कंचना झा

प्रतीक्षा करनाई लोकके निक नहि लागैत अछि । प्रतीक्षोमे जदि किनको मृत्यु के ….तऽ..शब्द नहि अछि । मृत्यु ओकर जिनका बिनु जिबैके कल्पना नहि कयने होयब । किछ एहने दुख तकलीफ सँ हम गुजरि रहल छी ।
अस्पतालक कुर्सी पर बैसल बैसल आँखि लगले छल कि बेटा धीरू आ बेटी उर्मीके आवाज आयल- बाबूजी माँ के होश आबि गेल अछि । नहि जानि कहाँ सँ देह मे जान चलि आयल जे भागल भागल सीमाके बेड तक पहुँच गेयल हुँ । चुपचाप , मुरझायल फूल सन, आँखि बंद अछि , आक्सीजन लागल अछि । बेजान सन सीमा अस्पतालक शय्या पर पड़ल अछि । केहन हालत भऽ गेल अछि हमर सीमाके ?
आई एक महीना सँ बेटा बेटी आ अप्पने सीमाके स्वास्थ्य पाछा बेहाल भेल छी । डाक्टरके बहुत बेशी आशा नहि अछि । मुदा हम कोना बिना सीमाके रहब ? चान सन सुन्नरि हमर सीमा केहन मुरझा गेल छथि अहि बीमारीमे ।
जे सीमा हमरा बिना देखने एक छन नहि रहय वाली से आई एक महीना सँ भरि मुँह बात नहि कऽ सकल छथि । किशोरी जी सँ एतबे आग्रह की सीमाके जीवनदान देथुन । हुनका बिना हमर जीवनक कोना अर्थ नहि अछि ।
धीरू आ उर्मी माएके होशमे आयल देख खुशी सँ कानय लागल । सीमा किछु बाजि नहि सकलिह मुदा आँखि सँ अविरल बर्षा होइत रहल आ अहि अविरल वर्षामे हम चारू गोटे भिंज गेलहुँ ।
किछु क्षण बाद सीमा उर्मीके कानमे किछु कहलक आ उर्मी धीरूके कानमे । हम पुछलहुँ मुदा बिनु किछु बजनहि दुनू भाई बहिन बाहरि चलि गेल ।
आब अस्पतालक अहि रूममे हम आ सीमा मात्रै छी । सीमा हमरा दिस बड़ी बेचारगी सँ ताकैत अछि ।
हम पुछलहुँ- किछु कहै चाहैत छी ?
सीमा स्थिर सँ हाँ कहैत अछि ।
गेरूआके सहारा दय हम सीमाके बैसाबेत छी आ अपने सेहो बेड पर बैस जाइत छी । सीमा हमर हाथ पकैड़ लैत अछि आ कहैत अछि जे- किछु बात मोनमे चलि रहल अछि । किछु असमंजसमे छी ।
केहन असमंजस ? अच्छा कोनो बात नहि । अहाँ पूरा तरहे जहन ठीक भऽ जायब तहन बात करब एखन डाक्टर मना केने अछि बाजवाक लेल- हम कहलहुँ ।
मुदा आब हमरा लग बहुत दिन नहि अछि । मोनक बात मोनेमे रहि जायत ।
ई की कहि रहल छी अहाँ ? हम सीमा दिस देखैत बजलहुँ ।
सुनू हमर किछु बात अहाँके मानै पड़त । मंद मूस्कान छल सीमाके चेहरा पर ।
बात दोसरोखन भऽ सकैत अछि सीमा । हम कहलहुँ ।
नहि हमरा एखने करवाक अछि । नहि जानि अगिला क्षणमे की भऽ जायत ?
अहाँ अनेरो डरा रहल छी सीमा । सबकिछु ठीक भऽ जेतै ।
आब किछु ठीक नहि हेतै ताहि सँ हमर बात सुनि लिअ ।
ठीक अछि बहुत बेशी बात नहि करवाक अछि तथापि जँ कोनो जरूरी बात अछि तऽ कहूँ ।
हम चाहैत छी जे ….हमरा मरलाके बाद …
एहन बात क्यिाक बजैत छी ? किछु नहि होयत अहाँके ।
धीरूके बाबू …
हूँ …
हमर इच्छा जे अहाँ दोसर वियाह करि ।
की ? हम अकबकाइत कहलहुँ ।
बुझू जे हमर अंतिम इच्छा । हे याह छी हमर अंतिम इच्छा ।
कथि अंटशंट बाजि रहल छी ? चुप भऽ जाउ- हम खिसियाक कहलहुँ ।
अहाँके बुझल अछि सीमा अहाँके बिना हमर जीवनक कोनो अर्थ नहि अछि । ओना तऽ कियो ककरो संग नहि जायत अछि मुदा सत्त याह अछि जे अहाँ बिना जिनाई बड मुश्किल भऽ जायत । ओना हमर मोन कहैत अछि सीमा …जे अहाँके ….किछु नहि होयत । अहाँ पहिने सन भऽ जायब । किछु दिनक बात अछि अहाँके लकऽ हम घर जायब । सब ठीक भऽ जायत ।
हे अहाँ हमर बातके टारि रहल छी । ध्यान भटका रहल छी मुदा हम नहि मानब- सीमा बहुत स्थिर सँ बजलिह । हे हमर शपत अछि अहाँके । अहाँके नहि बुझल अछि जे बिनु स्त्री के पुरुखक जीवन बड़ा कष्टगर होइत अछि । एहन बात कियाक बाजि रहल छी ?
क्यिाक तऽ हम आब बहुत दिन अहाँके संगहि नहि रहि पायब । अहाँके अपना लेल एकटा एहन लोक जे सदैरखन अहाँ संगे रहै ताकहि पड़त । आब अहाँ चुप भऽ जाउ । नहि हमर मोनक बात मोनेमे रहि जायत । ओना तऽ स्त्रीगणके जीवन अहिना कष्ट आ दुखमे बीत जायत अछि । मुदा हमरा अहाँ भेंटलहुँ जे हमर भाव हमर प्रेमके बुझी हमरा ओ स्थान देने छी जे बहुत स्त्रीगणके ले्ल एकटा सपना होयत अछि ।
कंठ सँ बोली नहि निकल रहल छल हमर आ सीमा जे एतके बीमार छथि । अप्पन बातके बहुत अडिगता सँ राखि रहल छथि । सीमा के बीच बीचमे साँस लेबैमे दिक्कत भऽ रहल अछि मुदा ओ निडर भऽ हमरा मनेबामे लागल छथि ।
सीमा हम नहि रहि सकब अहाँके बिना । फेर धिया पुता अछि ने । हिनका सभके लेल अहाँके आ हमरा दुनू गोटे के रहनाय आवश्यक अछि । अहाँ निक भऽ जायब । हमरा पूर्ण विश्वास अछि । हमर धैर्य जबाब दऽ देलक , हमर छाती फांटै लागल आ हम कानय लगलहुँ ।
सीमा हमर हाथ जोड़ सँ पकैड़ लेलाथि आ कहै लगलिह- हे बस किछु दिनक बात रहै छै । एखने कोन धीरु आ उर्मी अप्पना सभके लगमे रहैत अछि ।
हाँ हुनकर सभके पढ़ाई लिखाई चलि रहल अछि ने । हम कहलहुँ ।
सेहे तऽ हम कहैत छी । एखन पढ़ाई लिखई आ बादमे करियर । तकरा बाद वियाहदान आ तकरा बाद हुनकर सभके घर गृहस्थि । बस तकरा बाद अहाँके जिम्मेदारी खत्म ….
ओ चुप भऽ गेलिह । हम घबड़ा गेलहुँ आ कहलहुँ जे- सीमा आबे तऽ जरूरत छल अहाँके । आबे तऽ निक सँ बैसिक बात करतिहुँ । आबे तऽ सुख दुख बतियैतहुँ कि ….। आबे तऽ जिम्मेदारी सभसँ अलग भेल छलहुँ कि बीचे बाँटमे अहाँ एना कहि रहल छी । मोन भारी भऽ गेल । आँखिमे नोर आ आवाज हेरा गेल ।
कनिकाल चुप भेलाक बाद ओ फेर स्थिर सँ कहलिह हमहूँ तऽ याह कहि रहल छी धीरूके बाबू एखन तऽ उमरे की भेल अछि अहाँके ? हे अहाँ एसगर भऽ जायब कियो नहि आयत पलटिके । सभकियो अप्पनामे व्यस्त भऽ जेताह तहिया हमर बात मोन राखब । सीमाके बात सुनि हमहुँ बताह जकाँ कानय लगलहुँ । बुझायल जेना आई सीमाके अंतिम यात्रा छैन, आइ ओ अप्पन मोनके सभ बात हमरा कहि देतिह ।
धीरूके बाबू अहि उमरमे महिला होइ आ पुरुख दुनूके जिंनगी पहाड़ भऽ जायत अछि ,आ तकरा बाद कलंक लागत से अलग ।
हम चुपके ईशारा करैत कहलहुँ । सीमा अहाँके आरामके जरूरत अछि । ई सब बात मोनमे नहि सोचू ।
नहि अहाँ हमरा वचन दिअ हमरा मरलाके बाद अहाँ दोसर विवाह करब ।
दोसर विवाह ? ई केहन जिद अछि अहाँके सीमा । हम बिना अहाँके कोनक जीब ? हम तऽ कल्पना नहि कऽ सकैत छी अहाँ बिनु अपना आपके आ अहाँ हमरा छोडि़ चलि जायब ?
देखूँ हमरा लग बहुत कम समय अछि । मोनक बात जदि हम मोनमे लकऽ मरि जायब तऽ सभदिन अहाँके मोन कचोटत जे सीमा अप्पन बात हमरा नहि कहि सकल । हे हमरा सेहो स्वर्गोमे चैन नहि भेंटत जे अंतिम समयमे किछु समय अहाँके संगे नहि बिता सकलहुँ आ अप्पन बात सेहो नहि कहि सकलहुँ । सीमा हांफै लगलिह ।
हम डरा गेयलहुँ । अहाँके कोनो परेशानी अछि तऽ हम डाक्टरके बजा दैत छी ।
हमरा डाक्टरके नहि अंतिम समयमे अहाँके संग चाहि ।
हम तऽ अहिठाम छी । बच्चा सभके बजा लैत छी ।
नहि धीरूके बाबू हम चैन सँ नहि मरि सकब जाधरि अहाँ हमरा ई नहि कहि देब जे हमरा नहि रहला पर अहाँ एकटा दोसर सीमाके अप्पन प्रेम, अप्पन स्नेह देबै ।
एसगर जीवन जिनाई बहुत कठीन होइत अछि दुखके बात सही कियो तऽ होई जकरा सँ बाँटि सकी । आब असली समय छल संग बिताबैके मुदा हम बीच बाटिमे अहाँके संग छोडि़ रहल छी । हमरा माफ कऽ देब ।
सीमा हम नहि सम्भारि सकब अहाँ बिनु किछु । केहन अभागल छी हम ।
एना नहि बाजु । धीरूके बाबू एकटा एहन समय आबैत अछि जहन सब संग छोडि़ दैत अछि । आई धिया पुत्ता अछि काल्हि सभ अपनामे लागि जायत तहन की करब ? ताहि सँ कहैत छी ।
ठीक छै अहाँके बात सँ सहमत ….. तऽ की विवाह मात्र समाधान अछि ?
हँ धीरूके बाबू विवाह बंधन छै आ किछु बंधन बहुत जरूरी होइत अछि । जाहि नजरिया सँ स्त्री लोकके, सर समाजके देखैत अछि ओहिके पुरूख देखियो कऽ अनठा दैत अछि । ओना हम धीरु आ उर्मी सँ सेहो वचन लऽ लेने छी । हुनकर सभके सेहो हामी अछि ।
देखू अहाँके मोन खराब भऽ रहल अछि । हम डाक्टरके बजा लैत छी । सीमा हमर दर्द अहाँके नहि देखा रहल अछि । हम कतेक बेबस आ लाचार छी ? हम हारि गेल छी । हमरा हाथ सँ सभकिछु छुटल जा रहल अछि । आ अहाँ हमरा सँ वचन लेबाक लेल जिद कऽ रहल छी ई तऽ सरासर हमर प्रेमके ,हमर स्नेहके अपमान छी ।
हम अपमान नहि कऽ रहल छी । धीरुके बाबू हमरा जीवनमे सभकिछु भेटल अहाँ सँ । बहुतके शौख सेहंता लगले रहि जायत छै । हम चाहैत छी जे अहाँके प्रेम एकटा और स्त्री , एकटा और सीमाके भेंटै , आ पुरूख प्रति जे लोकके गलत धारण अछि ओहिमे परिवत्र्तन होई । सीमा हांफै लागैत अछि ।
हम कहि रहल छी जे एखन ई सभ बात नहि करू । अहाँ ठीक भऽ कऽ घर चलूँ तकरा बाद जतेक बात कहवाक अछि कहब । हम धीरू आ उर्मीके बजा लैत छी ।
मुदा सीम किछु सुनवाक अवस्थामे नहि छलिह आ मुरि हिलाक नहि बजेवाक लेल आदेश देलिह आ कहली- आब हठ नहि करू । हमर बात मानि जाउ ।
अहाँ बिसरि गेलहूँ रूना दाई के कहुँ तऽ कोन उमर छल हुनकर जहिया मिसर जी गत भऽ गेलाह । पहाड़ सन जिंनगी कोनक बिततहि जँ नवीन जीके संग नहि भैंटतहि । ककरो सँ बात कयलहुँ नहि की नाम जोडि़ दैत अछि फेर चाहे ओ स्त्री होई वा पुरूख ।
हमरा संगे एना नहि होयत- हम कहलहुँ ।
सीमा गंभीर भाव सँ बजलिह-
धीरूके बाबू अप्पना सभ जाहि समाजमे रहैत छी । ओहिठाम एकटा एसगर पुरूख अगर कियो दोसर स्त्री संगे गप्पो करैत अछि तऽ लोक अहि बातके तिलके ताड़ बना देत अछि । आ एकटा बात अहाँ कहुँ जे आई दुई महिना सँ हम बीमार छी । अहाँ हमरा संगे छी । ताहि सँ सभकिछु कऽ देत छी । एकसर रहब तऽ के एक गिलास पानि देत ?
अंतिम समयमे हम बोझ लक नहि जाई चाहैत छी । हमर बातके मान राखब । सीमाके हालत खराब होमय लागल । हम उर्मी आ धीरूके बजा लेलहुँ ।सीमाके हाथ पकड़ने दुनू भाई बहिन वचनबद्ध भेल जे अहाँके अंतिम इच्छा पूरा होयत ।
सीमा हमर हाथ जोर सँ पकड़ने छलिह जेना हुनका जेबाक मोन नहि रहैन आ यमराज जबरदस्ती लऽ जेबाक तैयारीमे अछि ।
ओ हमरा अप्पन वचनमे बांन्हि नेने छथि आ हम किछु बजवाक स्थितिमे नहि छी ।

(समाप्त )


कंचना झा
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