• २०८१ माघ २ बुधबार

ख़ुस्बू चुराते बच्चे

अनिता रश्मि

अनिता रश्मि

कोलतार चुपड़ी काली सड़क से
दौड़ते हुए आ मिलते वे बच्चे
सवेरे- सवेरे जो
फूटती किरण के साथ
गए थे सुंदर, साफ, उजर यूनिफार्म में
कई स्कूलों में पंक्तिवद्ध
अपने- अपने बाबा का हाथ थामे
गँवीली पगडंडियों से गुजरकर ।

दुपहरिया होते घर लौटते ही
बाबा के संग,
छोड़ उन्हें ओसारे पर
भागकर आ गए हैं
पगडंडी, मेड़ों को
लांघते- फर्लांघते हुए
माटी के करीब अपनी,
इतने- इतने करीब कि
उनकी देह से माटी की
ख़ुस्बू चुराई जा सकती है ।


(कुसई, डोरंडा, राँची, झारखण्ड, भारत)
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