गरीब छोरि कऽ के बुझतै गरीबीके मारि
ओ तऽ पेटे लेल जरबै छै कोरो आ पाढि़
भेल छै स्वार्थी सब नेता अपन स्वार्थे में चूर
छिनलकै जे सपना सुख भऽ गेलैक कोसो दूर
ओकरे पर सब मुंहगरहा करैछै ब्रह्म लूट
निकालै छै ओकरेसँ फाइदा करा कऽ फूट
रहितै जे ओकरो लग अपन ज्ञानक बखारी
नै बनितै समाजक लेल दरिद्र ओ भिखारी
भेल छै बहुतो ठाम स्कूल, कलेजक निर्माण
पेट में अपुग दाना तहने सब किछु विरान
कोनो गोटे नै खेलाऊ ओकर जीवन सँ खेल
करिऔ ओकरो आगू समाजक विकासक लेल ।।
(साहित्यकार ठाकुर गीत, कविता, कथा, हाइकु अदि विधा मे कलम चलाते हैं। मैथिली साहित्य मे इनकी कई कृतियाँ प्रकाशित हुई हैं । ये नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान से प्रकाशित होने वाली आँगन पत्रिका के सम्पादक हैं । मिथिला बिहारी नगरपालिका मिथिलेश्वरमौवाही–३ प्रदेश नं.२, धनुषा)
[email protected]