दुआओं का तेरी असर चाहती हूँ
जीवन में मैं कुछ अगर चाहती हूँ ।।
मिले ना मिले जो भी अपना मुकद्दर !
साथ जिसमें हो तू वो सफर चाहती हूँ ।।
नहीँ आरजू कोई दौलत–ए–जहाँ की…
मुहब्बत की तेरी नजर चाहती हूँ ।।
जाकर रुके जो तेरे ही दर पे…
वही मेरे मालिक डगर चाहती हूँ ।।
कहे मुझको रब माँग ले वर कोई तू !
“गजल” तुझको सारी उमर चाहती हूँ ।।
दुआओं का तेरी असर माँगती हूँ !
जीवन में मैं कुछ अगर चाहती हूँ ।।